Kamada Ekadashi 2022 with Shubh Yoga this time | Kamada Ekadashi 2022- हिंदू नववर्ष की पहली एकादशी 12 अप्रैल को, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व कथा
चैत्र नवरात्रि से शुरु होने वाले हिंदू नववर्ष के नवें दिन रामनवमी मनाई जाती है। ऐसे में इसके दो दिन बाद आने वाली हिंदू वर्ष की पहली एकादशी कामदा एकादशी या फलदा एकादशी कहलाती है।
Published: April 07, 2022 03:02:02 pm
Kamada Ekadashi 2022: हिंदू नववर्ष की शुरुआत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होती है। वहीं इसी के साथ चैत्र नवरात्रि की शुरुआत भी हो जाती है, इसी नवरात्र के नवें दिन रामनवमी का पर्व भी मनाया जाता है। ऐसे में रामनवमी के दो दिन बाद आने वाली हिंदू वर्ष की पहली एकादशी यानि चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे कामदा एकादशी या फलदा एकादशी के नाम से जाना जाता है, इस बार मंगलवार,12 अप्रैल को पड़ रही है।

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मान्यता के अनुसार इस एकादशी के दिन पूर्ण नियमों से व्रत करने वाले व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं साथ ही उसे मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। माना जाता है कि इस व्रत से भगवान विष्णु प्रसन्न होकर अपने भक्तों के रुके हुए कार्यों को सफलता प्रदान करते हैं। यह भी माना जाता है कि कामदा एकादशी के दिन भक्ति-भाव के साथ जो भक्त भगवान विष्णु की पूजा पीले फूल से करते हुए व्रत रखता है, उसकी श्रीहरि समस्त कामनाएं पूर्ण करते हैं।
कामदा एकादशी Date
इस साल 2022 में 10 अप्रैल को रामनवमी के पश्चात कामदा एकादशी व्रत मंगलवार, 12 अप्रैल को रखा जाएगा। वहीं इस बार कामदा एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। शास्त्रों के मुताबिक, भक्तों को इस दिन एकादशी व्रत कथा पढ़ने व सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। जबकि भगवान विष्णु की एकादशी तिथि पर पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है।
कामदा एकादशी 2022 का शुभ समय
चैत्र शुक्ल एकादशी तिथि की शुरुआत- मंगलवार, 12 अप्रैल 2022 को सुबह 04:30 AM से।
एकादशी तिथि का सामपन- बुधवार, 13 अप्रैल 2022 को 05:02 AM तक।
पूजन का शुभ मुहूर्त- 11:57 AM से 12:48 PM तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग- 05:59 PM से 08:35 AM तक। रवि योग भी इसके साथ ही रहेगा।
कामदा एकादशी पारणा मुहूर्त : 13, अप्रैल 2022 : 01:38 PM से 04:12 PM तक।
यहां ध्यान रखें कि उदयातिथि के चलते इस बार कामदा एकादशी व्रत मंगलवार,12 अप्रैल को ही रखा जाएगा।
ये है व्रत विधि
कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। कामदा एकादशी के दिन स्नान करके भगवान विष्णु का फल, फूल, दूध, पंचामृत, तिल आदि से पूजन करें। रात में सोने के बजाय भजन- कीर्तन करें और अगले दिन पूजन कर ब्राह्मण को भोजन कराएं और दक्षिणा दें।
कामदा एकादशी की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में भोगीपुर नामक एक नगर था। जहां पुण्डरीक नामक राजा राज्य करते थे। कई अप्सरा, किन्नर और गंधर्व इस नगर में वास करते थे। इनमें ललिता और ललित में अत्यधिक स्नेह था। एक दिन गंधर्व ललित दरबार में गाना गा रहा था। इसी दौरान उसे पत्नी ललिता की याद आ गई। इससे उसका स्वर, लय और ताल बिगड़ने लगे। इसे कर्कट नामक नाग ने जान लिया और यह बात राजा को बता दी। राजा ने क्रोध में आकर ललित को राक्षस होने का श्राप दे दिया।
जिसके चलते ललित एक अत्यंत बुरा दिखने वाला राक्षस बन गया। उसकी इस दशा को देख उसकी अप्सरा पत्नी ललिता अत्यंत दुखी हुई, और ललिता अपने पति की मुक्ति के लिए उपाय ढूंढने लगी। इसका उपाय ढ़ूढ़ने के दौरान ललिता की मुलाकात एक मुनि से हुई। उन्होंने ललिता की परेशानी को जानकर उसे कामदा एकादशी व्रत रखने की सलाह दी। जिसके पश्चात मुनि के आश्रम में ही ललिता ने एकादशी व्रत का पालन किया और इसका पुण्य लाभ अपने पति को दे दिया। जिसके चलते व्रत की शक्ति से ललित को राक्षस रूप से मुक्ति मिल गई और वह फिर से एक सुंदर गायक गन्धर्व बन गया।
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